अपना देश एक मन्दिर है, हम पुजारी हैं, राष्ट्रदेव की पूजा में हमने अपने आपको को समर्पित कर देना चाहिए — अटल बिहारी वाजपेयी
भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के उक्त कथन से प्रेरित होकर एक प्रतिष्ठित व्यवसायी श्री जी पी त्रिपाठी जी ने राष्ट्रभक्ति, राष्ट्रप्रेम और राष्ट्र ही सर्वोपरि की भावना से ओतप्रोत होकर राजनैतिक भागीदारी वाला एक socio-political संगठन की संरचना का विचार किया I क्योंकि उनका मानना है कि कोई भी देश तब तक समृद्ध और सुसंस्कृत राष्ट्रभक्त नही हो सकता जब तक कि उस देश का समाज समृद्ध और संस्कारित न हो लेकिन समाज भी तभी ऐसा कर सकेगा जब समाज के हर घर से एक पढ़ा लिखा व्यक्ति किसी न किसी रूप में राजनैतिक भागीदार न हों I
बस इसी विचार को आगे बढ़ाते हुए आदरणीय पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्री अटल जी का आशीर्बाद प्राप्त कर ‘अटल सेना ‘ का गठन किया गया और कुछ वर्षो की लगन और मेहनत के बाद 23 दिसंबर 2016 को कानूनी रूप से पंजीकृत किया गया
आज हमारा संगठन ‘अटल सेना’ नाम पूरे भारत देश में विख्यात है I संगठन विशेष रूप से चार स्तंभों पर अपने कार्यों का मंचन करता है –
- संपर्क संस्कृति सहयोग साझेदारी (राजनीतिक)
- समाज के निचले से निचले स्तर पर लोगो से संपर्क
- समाज को संस्कारित करना
- हर स्तर पर यथासंभव समाज के लोगो का सहयोग करना
और अंत में राष्ट्र प्रथम की विचारधारा से सम्बंधित राजनैतिक दल को सहयोग करना
परिचय –
राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रप्रथम की भावना से और डा अनिल जैन राष्ट्रीय महासचिव से प्रेरित होकर ‘अटल सेना’ के संस्थापक अध्यक्ष श्री जी पी त्रिपाठी जी ने 5 मई 2014 को भाजपा की राष्ट्रीय सचिव डा. सुधा यादव और तत्कालीन उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा लक्ष्मीकांत वाजपेयी के सानिध्य में अमेठी में एक कार्यक्रम के दौरान गृहमंत्री श्री अमित शाह जी से प्रधानमत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी की रैली में उसी मंच से भाजपा की सदस्यता ग्रहण की